Promotion Rules 2025 के खिलाफ सपाक्स (सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी-कर्मचारी संगठन) ने रविवार को भोपाल में प्रांतीय अधिवेशन आयोजित कर बड़ा ऐलान किया। संगठन ने नियमों को सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों का उल्लंघन बताते हुए न्यायिक लड़ाई और जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपने की व्यापक रणनीति बनाई।
सपाक्स का रुख: एकतरफा नियमों का विरोध
तुलसी नगर स्थित नर्मदीय भवन में आयोजित अधिवेशन में बड़ी संख्या में प्रतिनिधि व वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हुए। वक्ताओं ने Promotion Rules 2025 को अन्यायपूर्ण और असंवैधानिक बताते हुए कहा कि यह सामान्य, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग के हितों के विपरीत है। प्रमुख नेताओं ने नियमों की आलोचना करते हुए कहा कि 2016 से लंबित पदोन्नतियों को 2025 से लागू करना और आरक्षित वर्ग के अपदस्थ न किए गए अधिकारियों को पुनः पदोन्नति देना न्यायिक आदेशों के विपरीत है।

ज्ञापन और न्यायिक मार्ग पर बढ़ेगा आंदोलन
सपाक्स ने अधिवेशन में निर्णय लिया कि संगठन के प्रतिनिधि सांसदों, विधायकों से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपेंगे और जिला कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री तक विरोध दर्ज कराया जाएगा। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में न्यायिक संघर्ष जारी रहेगा। संगठन की अन्य प्रमुख मांगों में शामिल हैं –
- क्रीमी लेयर का स्पष्ट प्रावधान
- बैकलॉग पदों की समय-सीमा तय करना
- अनारक्षित पदों पर आरक्षित वर्ग की पदोन्नति पर रोक
- नियमित नियुक्तियों की बहाली
- संविदा व आउटसोर्सिंग की समाप्ति
- एट्रोसिटी एक्ट में आवश्यक संशोधन
सपाक्स का स्पष्ट संदेश है कि पदोन्नति नियम 2025 केवल आरक्षण के पक्ष में नहीं बल्कि न्यायिक आदेशों के भी विरुद्ध है। संगठन आर्थिक आधार पर आरक्षण की समीक्षा और पारदर्शी बैकलॉग गणना जैसे मुद्दों पर निर्णायक लड़ाई लड़ने को तैयार है।
यह अधिवेशन सिर्फ विरोध नहीं बल्कि व्यापक रणनीति का आगाज़ था, जो आने वाले समय में प्रशासनिक और न्यायिक दोनों स्तरों पर असर डाल सकता है।


