पदोन्नति संकट ने मध्यप्रदेश के सरकारी महकमों में हड़कंप मचा दिया है। करीब 1.50 लाख सरकारी कर्मचारी और अधिकारी इस समय अपने करियर की अगली सीढ़ी चढ़ने के इंतजार में फंसे हैं, लेकिन उनकी गोपनीय चरित्रावली (CR) की लापरवाही इस रास्ते की सबसे बड़ी रुकावट बन गई है। यदि समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो कर्मचारियों की उम्मीदें अधर में ही लटकी रह जाएंगी।
क्यों खड़ा हुआ पदोन्नति संकट?
प्रदेश में नौ वर्षों के लंबे इंतजार के बाद पदोन्नति प्रक्रिया की शुरुआत हुई तो कर्मचारियों को नई उम्मीद जगी। लेकिन यह प्रक्रिया उस समय पटरी से उतर गई जब Confidential Report (CR) के अधूरे या लापता होने की हकीकत सामने आई। विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) की बैठकों में फाइलें इसलिए अटकी रह गईं क्योंकि अफसरों द्वारा कर्मचारियों की सीआर या तो भरी ही नहीं गई थी, या अधूरी रह गई थी।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 54 विभागों को डीपीसी की बैठक के निर्देश दिए जा चुके हैं। लेकिन पदोन्नति नियम 2025 के तहत प्रस्तावित पांच लाख कर्मचारियों में से बड़ी संख्या में लोग सिर्फ सीआर की अनदेखी के कारण प्रमोशन से वंचित हो सकते हैं।

अफसरों पर सख्त कार्रवाई की तैयारी
सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) अब एक्शन मोड में है। विभाग ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर किसी अधिकारी ने अधीनस्थ की सीआर को जानबूझकर रोका तो उसकी खुद की गोपनीय रिपोर्ट में Adverse Remark डाली जाएगी।
सरकार ने पहली बार अफसरों की जवाबदेही तय करने का प्रयास किया है। अब यदि कोई अधिकारी बिना वाजिब कारणों के सीआर रोकता है, तो उसे खुद जवाब देना होगा।
कैसे बढ़ी सुस्ती?
दरअसल, पिछले वर्षों में पदोन्नति प्रक्रिया ठप पड़ने से कर्मचारियों और अफसरों दोनों ने सीआर को गंभीरता से लेना बंद कर दिया था। कई मामलों में सीआर की फाइलें तैयार ही नहीं की गईं या तैयार होने के बाद अलमारी में धूल फांकती रहीं। स्टेनो और बाबुओं ने फाइलें अधिकारियों के “ध्यानार्थ” तो रख दीं लेकिन उन पर कार्रवाई नहीं हुई।
यह भी पढे “भोपाल आरजीपीवी में 15 साल बाद निकली शिक्षक भर्ती”
डीपीसी नियम क्या कहते हैं?
डीपीसी नियमों के अनुसार, प्रमोशन के लिए पिछले तीन साल की गोपनीय रिपोर्ट पूरी और अद्यतन होनी चाहिए। साथ ही, अगले दो वर्षों की प्रविष्टियों का भी रिकॉर्ड मौजूद होना जरूरी है। लेकिन सीआर अधूरी रहने के कारण कर्मचारियों का प्रमोशन अधर में है और यही पदोन्नति संकट का मूल कारण बन गया है।


