मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण को लेकर लंबे समय से जारी कानूनी लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में राज्य सरकार के निरंतर प्रयासों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए मामले की अंतिम सुनवाई के लिए 23 सितंबर 2025 की तारीख तय कर दी है। यह मामला ‘टॉप ऑफ द बोर्ड’ श्रेणी में रखा गया है, जिसका मतलब है कि रोजाना सुनवाई होगी और जल्द फैसला आ सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने MP सरकार को दी राहत, OBC RESERVATION पर 23 सितंबर से रोज सुनवाई
राज्य सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम. नटराज और महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि हाईकोर्ट द्वारा ओबीसी आरक्षण पर लगाए गए स्थगन के कारण नई भर्तियों में बड़ी बाधा आ रही है। उन्होंने इस मामले को गंभीर बताते हुए जल्द सुनवाई की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने दलीलों को स्वीकार करते हुए रोजाना सुनवाई का आदेश दिया, जिससे भर्ती प्रक्रिया में अटकी अड़चनें दूर होने की उम्मीद है।
2019 संशोधन अधिनियम की संवैधानिक वैधता पर होगा फैसला
सुनवाई का मुख्य मुद्दा मध्यप्रदेश लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2019 की संवैधानिक वैधता है। इस अधिनियम में ओबीसी को 27% आरक्षण देने का प्रावधान किया गया था, जिसे कुछ याचिकाओं के आधार पर हाईकोर्ट ने स्थगित कर दिया था। सरकार का तर्क है कि इस स्थगन आदेश से हजारों उम्मीदवारों के भविष्य पर असर पड़ा है और नियुक्तियां रुकी हुई हैं।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दोहराई 27% आरक्षण देने की प्रतिबद्धता
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव पहले ही विधानसभा में स्पष्ट कर चुके हैं कि प्रदेश सरकार 27% OBC RESERVATION देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्ष ने इस मुद्दे पर दोहरा रवैया अपनाया और कमजोर तथ्यों के आधार पर अपनी बात रखी। मुख्यमंत्री ने बताया कि जिन विभागों में स्थगन आदेश लागू नहीं है, वहां पहले से ही 27% आरक्षण लागू कर दिया गया है, और जहां मामला अदालत में लंबित है, वहां भी सरकार लिखित रूप से 27% आरक्षण देने की बात दर्ज करा रही है।


