मध्यप्रदेश छात्रवृत्ति घोटाला एक बार फिर राज्य के प्रशासनिक तंत्र और जवाबदेही पर सवाल खड़े कर रहा है। भोपाल में सामने आया यह बड़ा घोटाला अब प्रदेश के अन्य जिलों तक फैलने की आशंका पैदा कर रहा है। केंद्र सरकार की सतर्कता के बाद उजागर हुए इस मामले में विभागीय अधिकारी खुद को बचाने की कोशिश में घोटाले को केवल ‘जालसाजी’ करार देकर क्राइम ब्रांच में मामला दर्ज करा रहे हैं।
भोपाल से शुरू हुआ मध्यप्रदेश छात्रवृत्ति घोटाला
मध्यप्रदेश के पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में उजागर हुआ मध्यप्रदेश छात्रवृत्ति घोटाला शासन-प्रशासन के कार्यप्रणाली पर गहरा सवाल खड़ा करता है। केंद्र सरकार ने इस योजना की जांच के बाद पाया कि कई ऐसे स्कूलों और मदरसों को छात्रवृत्ति दी गई, जिनकी मान्यता केवल 10वीं कक्षा तक थी, लेकिन फिर भी 11वीं-12वीं के नाम पर 1100 से ज्यादा छात्रों को करीब 57 लाख 78 हजार रुपये की राशि वितरित कर दी गई।

अन्य जिलों में भी मध्यप्रदेश छात्रवृत्ति घोटाला होने की आशंका
भोपाल में 1000 से ज्यादा अपात्र छात्रों की सूची केंद्र सरकार ने जारी की, जबकि विभाग ने सिर्फ 972 छात्रों की जानकारी क्राइम ब्रांच को दी। केंद्र की रिपोर्ट में 83 संदिग्ध संस्थान सामने आए, जबकि विभाग ने मात्र 44 संस्थानों को शामिल किया। इससे संदेह और गहरा हो गया है कि कहीं अधिकारी कुछ संस्थानों और कर्मचारियों को बचाने का प्रयास तो नहीं कर रहे? ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अन्य जिलों में भी ऐसा ही मध्यप्रदेश छात्रवृत्ति घोटाला चल रहा है?
जांच में फंसे विभागीय अधिकारी
क्राइम ब्रांच की शुरुआती जांच में कुछ अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका सामने आई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह केवल जालसाजी नहीं बल्कि सरकारी राशि का दुरुपयोग है, जिसे स्पष्ट रूप से घोटाला माना जाना चाहिए। आमतौर पर ऐसे आर्थिक अपराधों की जांच आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) से कराई जाती है, लेकिन इस मामले को केवल पुलिस को सौंप देना संदेह बढ़ा रहा है।
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इन स्कूलों और मदरसों पर उठे सवाल
भोपाल के जिन स्कूलों और मदरसों पर शक जताया गया है, उनमें शामिल हैं:
- एमएस आसिफ सईद उर्दू
- हनीफ सर मैथ्यू अर्नाल्ड (करोंद)
- न्यू म.ज. कन्वेंट स्कूल (बैरसिया)
- सेंट देसूजा कॉन्वेंट (कमला पार्क)
- सिटी मोंटेसरी स्कूल (जहांगीराबाद)
- न्यू एससीबी कॉन्वेंट (अशोका गार्डन)
- एम. अरबिया अमीरुल इस्लाम
- मदरसा अहद तालीमुल कुरान (बाग दिलकुशा)
- मदरसा ऐमन दीनी (भोईपुरा)
- मदरसा बुशरा दीनी (ईटखेड़ी) आदि।
क्या है छात्रवृत्ति योजना का स्वरूप?
मध्यप्रदेश छात्रवृत्ति घोटाला जिस योजना के तहत हुआ, वह भारत सरकार की पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा चलाई जाती है। इसमें 11वीं और 12वीं के छात्रों को सालाना 5700 रुपये की छात्रवृत्ति दी जाती है। पात्रता की अनदेखी कर फर्जी नामों से धनराशि जारी की गई, जिससे सरकार को लाखों रुपये का नुकसान हुआ।


