भोपाल में मंच पर दिखी राजनीतिक सौहार्द की नई तस्वीर
भोपाल के रातीबड़ इलाके में एक निजी स्कूल के उद्घाटन समारोह के दौरान मध्य प्रदेश की राजनीति में ऐसा नजारा देखने को मिला, जिसने सभी को चौंका दिया। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया मंच से उतरकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के पास पहुंचे, उनका हाथ थामा और उन्हें मंच पर ले आए। इस दृश्य को देखकर वहां मौजूद लोग तालियों से स्वागत करने लगे।
पांच साल बाद साथ दिखे दो धुर विरोधी नेता
यह पहली बार है जब 2020 में कांग्रेस छोड़ने के बाद सिंधिया और दिग्विजय सिंह सार्वजनिक रूप से एक मंच पर इस तरह साथ दिखे। 2020 में सिंधिया के भाजपा में शामिल होने और कमलनाथ सरकार गिरने के बाद दोनों नेताओं के बीच तीखा टकराव देखने को मिला था। ऐसे में मंच साझा करना राजनीतिक दृष्टि से एक बड़ा संकेत माना जा रहा है।
क्या टूटी दिग्विजय सिंह की कसम?
गौरतलब है कि कुछ महीने पहले ग्वालियर में “संविधान बचाओ रैली” के दौरान दिग्विजय सिंह ने यह घोषणा की थी कि वे अब किसी भी मंच पर नहीं बैठेंगे और आमजन के बीच ही रहेंगे। लेकिन इस कार्यक्रम में वे न केवल मंच पर बैठे, बल्कि सिंधिया द्वारा आमंत्रित किए जाने पर सहर्ष मंच पर भी गए। जब इस विषय पर सवाल उठे तो दिग्विजय सिंह ने स्पष्ट किया कि उनका यह निर्णय केवल कांग्रेस के राजनीतिक कार्यक्रमों के लिए था, जबकि यह एक निजी आयोजन था।
ग्वालियर-चंबल की राजनीति में हलचल
इस मुलाकात के बाद राजनीतिक विश्लेषकों के बीच अटकलों का दौर तेज हो गया है। सिंधिया फिलहाल ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में विरोधी गुटबाजी और आंतरिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। हाल ही में विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने भी अप्रत्यक्ष रूप से उन पर टिप्पणी की थी। ऐसे में यह सौहार्दपूर्ण दृश्य नई राजनीतिक संभावनाओं की ओर संकेत कर सकता है या फिर सिर्फ एक शिष्टाचार भी हो सकता है।
पुरानी रंजिश और नया संकेत?
इतिहास में राघौगढ़, दिग्विजय सिंह का क्षेत्र, कभी ग्वालियर राजघराने के अधीन था। दोनों नेताओं के परिवारों के बीच राजनीतिक प्रतिस्पर्धा पुरानी रही है। दिग्विजय सिंह को ‘राजा साहब’ और सिंधिया को ‘महाराज’ कहा जाता है। ऐसे में यह मुलाकात महज़ औपचारिकता नहीं बल्कि एक नई दिशा भी दिखा सकती है।
राजनीति में संभावनाएं हमेशा खुली होती हैं
पिछले कुछ वर्षों में दोनों नेताओं ने एक-दूसरे पर तीखे हमले किए। ग्वालियर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं से बातचीत के दौरान दिग्विजय सिंह ने ‘आस्तीन के सांप’ जैसे बयान दिए थे, जिसे सिंधिया पर कटाक्ष माना गया। वहीं सिंधिया ने भी कहा था कि दिग्विजय पहले उनके पिता और अब उन पर निशाना साधते हैं। इसके जवाब में दिग्विजय ने उन्हें ‘बच्चा’ कह दिया था।
लेकिन अब मंच पर साथ आना इस बात का संकेत भी हो सकता है कि राजनीति में कोई दरवाजा कभी पूरी तरह बंद नहीं होता।


