आपराधिक मामलों वाले TOP 10 MLA: मध्यप्रदेश के ‘माननीय’ !
चुनावी माहौल में मतदाता अपने प्रतिनिधियों को बड़ी उम्मीदों के साथ चुनते हैं। उनसे विकास, सुरक्षा और ईमानदारी की अपेक्षा रखते हैं। लेकिन क्या होगा जब खुद ये ‘माननीय’ आपराधिक मामलों में लिप्त हों? मध्यप्रदेश में ऐसे कई विधायक हैं जिनके खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इस रिपोर्ट में हम उन TOP 10 MLA की सूची साझा कर रहे हैं, जिन पर सबसे अधिक पुलिस केस दर्ज हैं।
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क्राइम मीटर: मध्यप्रदेश के आपराधिक रिकॉर्ड वाले TOP 10 MLA
- सुरेंद्र पटवा (भोजपुर, बीजेपी) – 173 मामले
इनके खिलाफ इतने मामले दर्ज हैं कि अगर वे हर महीने एक केस का निपटारा कराएं, तो भी कार्यकाल पूरा होने के बाद कोर्ट के चक्कर काटते रहेंगे! - कमलेश्वर डोडियार (सैलाना, भारत आदिवासी पार्टी) – 15 मामले
इनके रिकॉर्ड से साफ है कि कानून से ज्यादा इनका झुकाव कानून तोड़ने की ओर रहा है। - बिसाहू लाल सिंह (अनूपपुर, बीजेपी) – 12 मामले
राजनीति के खेल में ‘लाल’ बत्ती से ज्यादा ‘लाल’ झंडी मिल रही है। - डॉ. विक्रांत भूरिया (झाबुआ, कांग्रेस) – 10 मामले
डॉक्टर साहब जनता के इलाज के लिए चुने गए थे, लेकिन खुद कानून के मरीज बन गए हैं। - प्रीतम लोधी (पिछोर, बीजेपी) – 9 मामले
इनकी कहानी बताती है कि सिर्फ भाषणों से नहीं, बल्कि कानून के उल्लंघन से भी सुर्खियों में आया जा सकता है। - महेश परमार (तराना, कांग्रेस) – 8 मामले
इनकी राजनीति में भी उतना ही एक्शन है जितना किसी बॉलीवुड की मसाला फिल्म में होता है। - आरिफ मसूद (भोपाल मध्य, कांग्रेस) – 6 मामले
भोपाल गैस त्रासदी के बाद अब अपराध के आंकड़ों में भी नया इजाफा हो गया है। - राजेंद्र भारती (दतिया, कांग्रेस) – 6 मामले
अब यह शहर सिर्फ देवी पीठ के लिए नहीं, बल्कि इनके विवादित कारनामों के लिए भी जाना जाएगा। - दिनेश गुर्जर (मुरैना, कांग्रेस) – 6 मामले
मुरैना की राजनीति में इनका नाम मजबूत है, लेकिन इनका पुलिस रिकॉर्ड भी कम मजबूत नहीं है। - साहब सिंह गुर्जर (ग्वालियर ग्रामीण, कांग्रेस) – 6 मामले
साहब जी ने राजनीति में आकर शायद ‘साहब’ बनने की बजाय ‘अभियुक्त’ बनने का रास्ता पकड़ लिया।
MADHYAPRADESH
क्या राजनीति अपराधियों का अड्डा बन चुकी है?
राजनीति में अपराधीकरण कोई नई बात नहीं है, लेकिन जब कानून बनाने वाले खुद कानून तोड़ने लगें, तो यह लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरा बन जाता है। ऐसे में जनता को जागरूक होकर अपने नेताओं का चुनाव करना बेहद जरूरी हो जाता है।
जानकारी ही बचाव है: चुनाव आयोग के आंकड़ों पर रखें नजर
यह रिपोर्ट (आपराधिक केस वाले TOP 10 MLA) पूरी तरह से प्रत्याशियों द्वारा चुनाव आयोग को दिए गए शपथ पत्रों के आधार पर तैयार की गई है। सभी उम्मीदवार अपने नामांकन पत्र के साथ अपनी संपत्ति, शिक्षा और आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी प्रस्तुत करते हैं। यह जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है, और प्रत्येक मतदाता को इसे देखना चाहिए।
वोट देने से पहले www.myneta.info पर जरूर जाएं
अगर आप अपने क्षेत्र के प्रत्याशी के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो www.myneta.info वेबसाइट पर जाएं। यहाँ आपको यह पता चलेगा कि आपके प्रत्याशी पर कितने आपराधिक मामले दर्ज हैं और उनका पूरा राजनीतिक और कानूनी इतिहास क्या है। सिर्फ वादों के आधार पर वोट न दें, बल्कि तथ्यों की जांच करके सही निर्णय लें।
आपका वोट, आपका भविष्य!
भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, और इसमें हर मतदाता की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। सही नेता का चुनाव करना सिर्फ एक नागरिक का कर्तव्य ही नहीं, बल्कि समाज को अपराध मुक्त और विकास की राह पर आगे बढ़ाने का एक ज़रूरी कदम भी है।
चुनाव के दौरान अक्सर राजनीतिक दल बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन हकीकत में इनका रिकॉर्ड क्या कहता है, यह देखना बेहद ज़रूरी है। इसलिए, सिर्फ भाषणों और चुनावी प्रचार से प्रभावित होकर वोट न डालें, बल्कि उम्मीदवार की पृष्ठभूमि को ध्यान से जांचें। उनके आपराधिक रिकॉर्ड, संपत्ति, और जनता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को परखें।
आपराधिक छवि वाले नेताओं को बार-बार चुनना लोकतंत्र को कमजोर करता है। यह समाज में भय, भ्रष्टाचार और अस्थिरता को जन्म देता है। यदि हम साफ छवि वाले नेताओं को मौका देंगे, तो वही हमारे क्षेत्र और देश के विकास में योगदान देंगे।
इसलिए, सोच-समझकर निर्णय लें और मतदान अवश्य करें। आपका एक वोट सिर्फ सरकार नहीं, बल्कि आपके भविष्य की दिशा भी तय करता है।
एक जिम्मेदार मतदाता के रूप में आपको यह तय करना है कि आप अपने क्षेत्र से किसे चुनते हैं। अगले चुनाव में सोच-समझकर मतदान करें, ताकि आपका प्रतिनिधि वास्तव में समाज के विकास के लिए कार्य करे, न कि अदालतों के चक्कर लगाने में ही अपना समय बिताए।