मूंग के भाव होंगे धड़ाम: देशभर की मंडियों में मंदी का माहौल, कीमतों में और गिरावट की संभावना | NEWSOFFICE24
देश के प्रमुख दलहन उत्पादक राज्यों से मूंग की नई फसल के आगमन ने बाजार में उथल-पुथल मचा दी है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार की मंडियों में नई मूंग की आवक के चलते राजस्थान की मूंग की मांग लगभग खत्म सी हो गई है। ऐसे में मूंग के दामों में और ₹400 से ₹500 प्रति क्विंटल तक की गिरावट की आशंका प्रबल हो गई है।

नई फसल ने बाजार को बनाया मंदी का केंद्र
एमपी और यूपी की ताजा मूंग अब बड़ी मात्रा में बाजारों में उतर चुकी है। यूपी की मंडियों में यह मूंग बेहद कम कीमतों पर बिक रही है, जिससे राजस्थान की मूंग को भी भाव में नीचे आना पड़ा है। महाराष्ट्र (परभणी और औरंगाबाद) की लाइन से टेंडर वाले माल को भी दाल मिलें सस्ते में प्रोसेस कर रही हैं, जिससे उत्तर भारत की मिलों में ट्रेडिंग बेहद धीमी हो गई है।
राजस्थान में इस बार खरीफ सीजन में मूंग की उपज रिकॉर्ड स्तर पर रही। वहीं एमपी की मूंग सरकारी टेंडर में केंद्रीय पूल को बेच दी गई, जिससे बाजार में पहले ही मंदी का माहौल बन गया था। इसके अलावा, एमपी की मूंग में हानिकारक रसायन मिलने की खबरों के चलते सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद से हाथ खींच लिए, जिससे बाजार को और झटका लगा।
यूपी-बिहार में बंपर फसल, बाजार पर दबाव
कानपुर लाइन की मंडियों में मूंग का तेज आवक जारी है और वहां भी उपज काफी बेहतर रही है। फिलहाल यूपी-बिहार में मूंग के लूज रेट ₹6000 से ₹6400 प्रति क्विंटल के बीच हैं। जबकि दिल्ली में बढ़िया क्वालिटी की मूंग ₹6300 से ₹6800 में बताई जा रही है, लेकिन इन भावों पर भी व्यापार बहुत धीमा है।
पहले जो मूंग राजस्थान व एमपी में ₹7300 से ₹7400 प्रति क्विंटल में बिक रही थी, अब वही मूंग ₹7000 से ₹7200 के भाव पर आ चुकी है। इसके बावजूद दाल मिलें खरीद से कतराने लगी हैं क्योंकि धोया और छिलका दाल की बिक्री में जबरदस्त गिरावट देखी जा रही है।
बिहार-कर्नाटक की फसल और गर्मी ने डाली दोहरी मार
बिहार और झारखंड में मूंग की फसल तैयार है और कटाई जोरों पर है। गर्म मौसम के चलते खेतों से तेजी से निकासी हो रही है, जिससे मंडियों में दबाव और बढ़ गया है। राजस्थान की शेखावाटी, जोधपुर, बाड़मेर, बीकानेर जैसे इलाकों से पुरानी मूंग सस्ते दामों में आ रही है, लेकिन लोकल मिलें मांग कम कर रही हैं।
इधर, कर्नाटक में भी गर्मी वाली मूंग आनी शुरू हो गई है, लेकिन दिल्ली में यूपी की सस्ती मूंग के चलते कर्नाटक की मांग भी कमजोर हो चुकी है।
स्टॉकिस्टों की बिकवाली और नकदी संकट ने बिगाड़ी हालत
पिछले महीने के दूसरे सप्ताह से स्टॉकिस्टों ने तेजी से माल उतारना शुरू कर दिया था, जिससे बाजार में और गिरावट आ गई। बाजार अब तक लगभग ₹1000 प्रति क्विंटल तक टूट चुका है। वहीं, धोया और छिलका मूंग दाल की मांग में भारी गिरावट, और बाजारों में नकदी की भारी तंगी ने हालात को और गंभीर बना दिया है।
उत्पादन में बढ़ोतरी लेकिन खपत में गिरावट
पिछले वर्ष रबी और खरीफ सीजन मिलाकर मूंग का उत्पादन लगभग 48 लाख मीट्रिक टन रहा था। इस बार 54 लाख मीट्रिक टन तक के उत्पादन का अनुमान है, जो बाजार पर अतिरिक्त दबाव बना रहा है। सब्जियों के सस्ते दामों का भी दालों की खपत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
निष्कर्ष: मंदी के संकेत स्पष्ट, सतर्क रहें व्यापारी
वर्तमान में जो मूंग पहले ₹8100 प्रति क्विंटल तक पहुंच चुकी थी, अब वह ₹7100 पर कारोबार कर रही है, और इसमें और गिरावट की पूरी संभावना जताई जा रही है। मौजूदा बाजार स्थिति को देखते हुए, व्यापारियों को अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए और फिलहाल मंदी की रणनीति अपनाना ही उचित रहेगा।